
✍️संजय श्रीवास्तव “अवधी “मनकापुर गोंडा उत्तर प्रदेश भारत
परदेसी गांव मा तोहार इंतजार है
खेते मा अपने आलू अउ मटर तयार है
खिरकी मा चुरै भुजिया अउ सरसौ दुवार है
खेते मा अपने आलू अउ मटर तयार है !
आवत है रोजै साग अउ मुरई उखारि कै
पाती हरेर धनिया अउ लहसुन सम्हारि कै
गोहूं चना पिसाइ कइ चक्की से आइ गा
रोटी बनत ही आंच पय चूल्हा जराइ कै
लगा लगउझै खिचरी सकठ कै तिउहार है
खेते मा अपने आलू अउ मटर तयार है !
अरहर गनन मनन खुब मजे कै फुलान है
मुल गोहूं दोसरे पानी के बिना लरान है
जाडा से हांण असौं जवानन कै कांपि गा
अम्मा अउ बप्पा से हमार जिउ डेरान है
पाला कटइ सेवान मा सींकत बयार है
खेते मा अपने आलू अउ मटर तयार है !
होतै सकार फोन फिर भौजी कै आइगा
आपन खडा है उनकै कुलि गन्ना बिकाइगा
कुलि काज कै अकाज है ठिठुरत बिहान है
चइली छटक कै लागि गै बबुआ चोटाइगा
दुइ पूस माघ कै महीना बहुतै गार्ह है
खेते मा अपने आलू अउ मटर तयार है !
खरवांस कहां कै दिन बचा गनिक गना है
अउ नइहरेम् भतीजी कै बियाह ठना है
दस रोज पहिले जायक् है भइया बलाइ गा
अबकी नवा नवा कुलिउ पलान बना है
अबहीं तलुक सोनार कै पइंसा उधार है
खेते मा अपने आलू अउ मटर तयार है !
लडिकन कै सीतलहरि कै छुट्टी वराइ गा
बिटिया कै इम्तहान अब मूडे पय आइगा
छपरा पय असौं ढेर कुल कोहंणा फरा रहा
मुल का करी लुकाइ कै बानर कुल खाइगा
अरसी चना मा सेंति कै बेथुआ लिलार है
खेते मा अपने आलू अउ मटर तयार है
देखा है काकी आज भी भीजी हैं ओस मा
संझा सकार होत है हल्ला परोस मा
भेली कै हम सुना है तनिका दाम बढि गवा
कोल्हू पय बहमा बहमी है दद्दा हैं रोस मा
महकत है गांव रात दिन जागत कोल्हार है
खेते मा अपने आलू अउ मटर तयार है !
यहि माघ महीना कै अवधी अलगै बात है
नेबुआ पेरान पाक है गंजी मिठात है
बहुतै गोहार कुंभ के मेला कै होइ गवा
परधान कै टाली सुना संगम का जात है
कइसै कही तोहरे बिना केतना अपार है
खेते मा अपने आलू अउ मटर तयार है !!